Wednesday, 31 January 2018

पहले परमवीरचक्र विजेता मेजर सोमनाथ का आज जन्मदिन!


मेजर सोमनाथ शर्मा का जन्म 31 जनवरी, 1923 को जम्मू में हुआ था। उनके पिता मेजर अमरनाथ शर्मा भी सेना में डॉक्टर थे और आर्मी मेडिकल सर्विस के डायरेक्टर जनरल के पद से सेवामुक्त हुए थे।

मेजर सोमनाथ का फौजी कार्यकाल शुरू ही दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुआ और वह मलाया के पास के रण में भेज दिए गए। पहले ही दौर में उन्होंने अपने पराक्रम के तेवर दिखाए और वह एक विशिष्ट सैनिक के रूप में पहचाने जाने लगे।
भारतीय सेना की कुमाऊं रेजिमेंट  कंपनी-कमांडर मेजर सोमनाथने 1947 के भारत-पाक संघर्ष में अपनी वीरता से शत्रु के छक्के छुड़ा दिए थे। उन्हें भारत सरकार ने मरणोपरान्त परमवीर चक्र से सम्मानित किया। परमवीर चक्र पाने वाले वे प्रथम व्यक्ति हैं।
3 नवंबर, 1947 को मेजर सोमनाथ शर्मा की टुकड़ी को कश्मीर घाटी के बदगाम मोर्चे पर जाने का हुकुम दिया गया।  दुश्मन  सेना ने उनकी टुकड़ी को तीन तरफ से घेरकर हमला किया और भारी गोलाबारी से सोमनाथ के सैनिक हताहत होने लगे। अपनी दक्षता का परिचय देते हुए सोमनाथ ने अपने सैनिकों के साथ गोलियां बरसाते हुए दुश्मन को बढ़ने से रोके रखा। इस दौरान उन्होंने खुद को दुश्मन की गोलीबारी के बीच बराबर खतरे में डाला और कपड़े की पट्टियों की मदद से हवाई जहाज को ठीक लक्ष्य की ओर पहुंचने में मदद की। इस दौरान, सोमनाथ के बहुत से सैनिक वीरगति को प्राप्त हो चुके थे और सैनिकों की कमी महसूस की जा रही थी। सोमनाथ बायां हाथ चोट खाया हुआ था और उस पर प्लास्टर बंधा था। इसके बावजूद सोमनाथ खुद मैग्जीन में गोलियां भरकर बंदूक धारी सैनिकों को देते जा रहे थे। तभी एक मोर्टार का निशाना ठीक वहीं पर लगा, जहां सोमनाथ मौजूद थे और इस विस्फोट में ही वो शहीद हो गए।
मेजर शर्मा हमेशा अपनी जेब में गीता रखते थे। जेब में पड़ी गीता और उनकी पिस्टल के खोल से उनके शव की पहचान की गई।



Tuesday, 30 January 2018

More articles, stories, poems on the way! - कहानीया, हास्यलेख, कविताएं आ रही है।

Friends & Readers
Many articles, stories and poems are on the way... so keep reading & keep sharing with others.

मित्रो एवं पाठको
बहुत सारी कहानियां, कविताएं और अन्य लेख शिघ्र ही ब्लोग पर आने वाले हैं। तो पढते रहीये और ब्लोग को शेर करते रहीये।

एक_अधूरा_खत - लघु कथा - पल्लव_श्रीवास्तव

जून की भरी दोपहरी उपर से सनी महाराज का दिन अपने भौकाली विचारो मे खोया हुआ सोचे जा रहा था ना जाने क्या की तभी भुतकाल के गर्भ से एक हादसा प्रकट होने को था। 
तभी अचानक वार्तालाप यन्त्र पे एक सन्देश प्रकट हुआ ओर वो सन्देश हमारे दूर के रिश्तेदार का निकला। सन्देश पढ के मानो जून का माह फरवरी मे बदल गया जलती धुप की जगह बर्फ की चादर बीछाई हो।
ऐसा प्रतीत हुआ की मानो सपना  तो नही एक बार खुद चुटी काटने के बाद यकिन हुआ की हकिकत है। 
चार साल पहले चार दिन की मुलाकात मे जिसे दिल दे बैठे थे ओर जिसने भाव खाने मे कोई कमी नही छोड़ी थी। वो हमे तलाश रही थी हमारे पुकार नाम से ये सन्देश पढ़ के दिल जोरो से धडक रहा था अपने भावनाओ को समेटते हुये । पुरुषार्थ रोकने का प्रयास कर रहा था ओर दिल उसको आरक्षण देने का ।

एक अधुरा खत मानो कितने सपनों को फिर से जिंदा कर गया।

--पल्लव_श्रीवास्तव

अमीर - पल्लव_श्रीवास्तव

सब रख के वो फिर भी गरिब है
मेरे खाली हाथ कितने अमीर है

#पल्लव_श्रीवास्तव

फिर से - पल्लव श्रीवास्तव

अब फिर से नज़र मे हूँ मै बीते ख्वाब की तरह
फिर से छा गया हूँ क्या अन्धेरी रात की तरह ।।

#पल्लव_श्रीवास्तव

Friday, 26 January 2018

नैना अश्क ना हो! – परमवीर भारतीय सेना

मस्त कडाके की जनवरी की ठंड..और उस पर भी आप अगर दिल्हीमें हो..और सोचो की रात को फ्लाईट पकडनी हो.. ये सोच कर ही रोमांच जाग उठता है ना?
पांच जनवरी के दिन हमारे सर्जन ग्रुप की गुजराती माइक्रोफिक्शन रचनाओं की दुसरी पुस्तिका ‘माइक्रोसर्जन-२’ का विमोचन होने जा रहा था। मैं दिल्ही से अहमदाबाद जाने के लिए एरपोर्ट के टर्मिनल १ पर शाम को सात बजे पहुंचा। थोडा नास्ता किया और बोर्डींग गेट के पास आया। बोर्डींग को थोडी देर थी इस लिए घर पर फोन लगाया। मेरी गुजराती सुन एक यंग और डेशिंग बंदा पास आया और हमारी बाते शरु हुइ। अश्विनजी सिक्कीम से आ रहे थे और अपने गांव जाने के लिए अहमदाबाद जा रहे थे। वे भारतीय सेना में कार्यरत है। वे जम्मु कश्मिर के लिए भी सेवा दे चुके हैं। सब से पहले मैंने उनके साथ सेल्फी ली क्युंकी बहुत सारे लोग ताने मारते है की गुजराती बंदे सेनामें देखने नहीं मिलते. और ये बात मैंने अश्विनजी को बोली तो वो हंस दिये और बोले..”अरे नहीं नहीं.. मेरे साथ ही तकरीबन ५० गुजराती जवान है।“
तो अब मुद्दे पर आउं तो जितनी देर उनसे बातें की उन बातों में अश्विनजी का जिंदादील व्यक्तित्व निखर कर सामने आया। एक बार भी उन्होंने ये नहीं कहा की उन्हें ये समस्याएं हैं ऐसी कठिन परिस्थितीयां है। मेरा खास दोस्त मेजर है इस लिए मुझे मालुम है की जम्मु-कश्मिर, सिक्कीम, राजस्थान बोर्डर और ऐसी कइ जगह पर जवानो को कठिन परिस्थितीयों का सामना करना होता है।
परंतु ये अश्विनजी तो मुजे एक गुजराती बाल कहानी ‘आनंदी कौए’ के किरदार जैसे नजर आये जो हर  परिस्थीती में खुश रहते है। उन्होंने जो बात कही उसमें मुजे कहीं कहीं पर लगा के ये तो बडी समस्या है मगर अश्विनजी कह रहे थे की “हम ऐसे रहते है, साथ में मोज मस्ती करते है, एक महीने की लंबी छुट्टी मिलती है और क्या चाहिये? सिनियर्स आपको मदद करते है। हां, आपको शिस्त में रहना पडता है, सिनियर्स को इज्जत देनी होती है पर वो हमारी सहायता के लिए ही है ना? खाने की कोई शिकायत नहीं है। कमान्डर हररोज खाने की गुणवत्ता देखते है।“ और ऐसी कई बाते हुइ पर उन सब बातों का सुर एक ही है। और वो है…
“नैना अश्क ना हो”… कभी भी..कहीं भी..”नैना अश्क ना हो!”
और अहमदाबाद से वापस आते हुए भी एक जवान मिले। बहुत ही कम समय के लिए मिले इस लिए नाम याद नहीं। वे अहमदाबाद में ड्युटी पर तैनात है और छुट्टीयों में अपने गांव जा रहे थे … नेपाल….जी हां.. नेपाल के जवान भी भारतीय सेनामें है और  हमारे देश की रक्षा कर रहे है।
गणतंत्र दिन के शुभ अवसर पर भारतीय सेना को सलाम। और दोस्तों एक बिनती है..युध्ध और आतंकवाद का सामना करने के अलावा फिझुल बातों के लिए जब इन जवानों को कहीं जाना पडे ये बडी शर्म की बात है। हडताल, बंध, तोडफोड इत्यादी द्वारा हम देश की संपत्ती को ही नुकसान पहोंचा रहे है। और साथ साथ सेना के जवानो के साथ भी अन्याय कर रहे है। आओ मिल के एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण करे जिससे देश की सेना को भी गर्व महसूस हो।
जय हिन्द।

-    गोपाल खेताणी

Wednesday, 10 January 2018

विश्व हिन्दी दिवस

आज विश्व हिन्दी दिवस.. आप सब को ढेर सारी शुभकामनाएं।

विश्वभर में हिंदी भाषा के प्रचार के लिए 10 जनवरी 1975 को नागपुर में विश्व हिंदी सम्मेलन रखा गया था। इस सम्मेलन में 30 देशों 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। 2006 के बाद से हर 10 जनवरी को विश्वभर में विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है।

परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद

अब्दुल हमीद   का जन्म  1 जुलाई , 1933 को   यूपी के गाजीपुर जिले के धरमपुर गांव में   हुआ था।   उनके पिता मोहम्मद उस्मान सिलाई का काम करते थे...