Saturday, 14 November 2020

दीपोत्सव – खुशीयों का खजाना!

 

दीपोत्सव – खुशीयों का खजाना!

 

त्योहार – मानव जीवन को नवपल्लवित करने वाले दिन। आपने बचपन में स्कूल के दिनों में त्योहार पर अवश्य निबंध लिखा होगा। जब भी त्योहार, उत्सव की बात आती है तो मन मंद मंद मुस्कुराहट बिखेरने लगता है। हमारी आस पास एक सकारात्मक भावना जागृक होने लगती है और इसका असर हमारे तन – मन पर होने लगता है, और कभी कभी धन पर भी, सही है ना?

वैसे तो हम सभी त्योहार जी भर के मनाते है, मगर तरूण अवस्था में, जवानी में (और कभी तो आजीवन) हर एक का मनपसंद त्योहार अलग अलग हो सकता है! कोई १५ अगस्त, २६ जनवरी (गुजरात में १४ जनवरी, संक्रांति) की राह देखता है कि कब किसी से (पतंग के) पेच लडाउं; तो किसी को रंगबिरंगी दुनिया ही पसंद है तो होली ज्यादा पसंद होती है।

किसी को लोहडी में भंगडा करना है तो, कोई छ्ठ्ठ पूजा में सूर्यदेव को रिझाना चाहता है। कोई पोंगल – ओणम का बेसबरी से इंतजार करता है तो कोई बीहु – उगाडी का। महादेव के भक्त सावन में कावड यात्रा करने को उत्सुक होते है तो नवरात्रि में गरबा करने, जगराता करने  को उत्सुक। बाप्पा के भक्त दस दिन पंडाल में डेरा जमाये बैठे रहेते हैं तो क्रिष्न कन्हैया का जन्मोत्सव मनाने ब्रिजवासी जन्माष्टमी के दिन तैयार!

भले ही ये सभी त्योहार हम जी भर के मनाये हो लेकिन जब भी ये दिवाली आनी होती है तब इसका रोमांच, इसका उत्साह बढकर होता है, सही है ना? (IPL Fans को ज्यादा पता होगा!) नवरात्रि में माता के जगराता, भजन, रामलीला और गरबा खेल कर अभी थकान मिटाने  की सोच ही रहे होते है की सब लोग दिवाली की साफ सफाइ में लग जाते है। पुराने सामान –रद्दी खरीदने वाले गलियो में निकल पडते है; झाड़ू – वाइपर – फिनाइल वाले पूरा दिन गलियो में शोर मचा रहे होते है। दिवाली शुरू हो उससे पहले तो ओनलाइन शोपिंग साइट वाले अपना अलग से त्योहार शुरू कर देते है।

मिडल क्लास परिवार बोनस की आशा में अपने गाल लाल रखते हुए त्योहार मनाने का उत्साह और तनाव; दोनों का अनुभव करता है। एकादशी से घर को सजाने संवारने का कार्यक्रम शुरू हो जाता है। अपने गांव – शहर से दूर रहने वाले कुछ भी कर के घर को पहुंचने की कोशिश में लगे होते है। अपने बजट के अनुसार कपडे, साज –सजावट का सामान, मिठाई, पकवान खरीदा जाता है। रोशनी – पटाखो से माहौल तैयार हो जाता है। अमावस को उजियारे में परिवर्तित करने वाली दिवाली सही मायनों में मन में एक नई आशा जगाती हैं कि भले ही कितनी मुश्किलें क्यों न हो; तुम अपने प्रयत्नो से, हिम्मत से अपने आसपास नई रोशनी जगा दे।

इस बार कोरोना है तो कुछ कुछ मुश्केलियां आ सकती है। हर कोई अपने गांव  - शहर ना जा पाए तो जी छोटा ना करे, हम जहां है वहीं दिवाली उल्लासपूर्वक मनाएं। पटाखें जला न पाएं तो डीजे के ताल पर झूमीए। मिठाई ना मिले तो घर पर ही हलवा, खीर बनाए।

कोरोना की वजह से बाजार में मंदी रह सकती है, तो आप अपने बजट अनुसार थोडा खर्च (ओनलाइन शोपिंग टाल सके तो टालिए) कर के किसी की दिवाली बेहतर बना सकते है। मिट्टी के दिए जलाएं, रंगोली बनाइए, मुस्कान बिखेरीए। बच्चों को भी थोडा खुश करिए, भले थोडी ही सही पर मिठाई – पकवान खिलाईए। हां, स्वास्थ्य के प्रति जागॄक रहीए।

दिवाली में सभी को शामिल करे। जो नहीं मना पा रहे उसे भी शामिल करने का प्रयत्न करे। Show-Off ना करें।

आप के आसपास किसी ने अपने स्वजन गंवाए हो तो आप उनकी भावना को ठेस ना पहुंचे उसका भी ख्याल रखे। कोरोना अभी गया नहीं है ये ध्यान में रखिएगा। त्योहार मनाना है, हमें बहकना नहीं है।

ये साल हमें बहुत कुछ सीख दे रहा है। हमें अपने आप के साथ संघर्ष करना है। हमें अपने आप को मजबूत बनाना है। सकारात्मक सोच के साथ आगे बढना है।

एक गाने की पंक्तियां याद आ रही है;

“ग़म का बादल जो छाए, तो हम मुस्कराते रहें,

अपनी आँखों में आशाओं के दीप जलाते रहें,

आज बिगड़े तो कल फिर बने, आज रूठे तो कल फिर मने,

वक़्त भी जैसे इक मीत है.

ज़िन्दगी की यही रीत है,

हार के बाद ही जीत है।“

 

इस दिवाली की शुभकामना देते हुए ये कहना चाहूंगा की

-      -  कोरोना जैसी महामारी में जिनके पास जमापूंजी (सेवींग्स) थी वो डगमगाये नहीं। सेवींग्स का महत्व समजिए।

-       - हेल्थ इन्स्योरन्स ना हो तो तुरंत लीजिए।

-       - अपने परिवार के भविष्य का केल्क्युलेशन कर उस हिसाब से लाइफ इन्स्योरन्स भी जरूर करवाए।

 

आप उल्लास के साथ, उत्साह के साथ दिवाली मनाएं;  खुश रहे और खुशीयां बांटे। आप सभी को एक बार फिर से दिवाली की ढेर सारी शुभकामनाएं। (मेरे गुजराती स्नेहीजन को नूतन वर्षाभिनंदन!)

-       ~ गोपाल खेताणी का नमस्कार।

 

 


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