Thursday, 23 July 2020

मेरा भारत महान – केशव गंगाधर तिलक


“स्वराज मेरा जन्म सिध्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा।“
"स्वराज्य हा माझा जन्मसिद्ध हक्क आहे आणि तो मी मिळवणारच।“

आप समज ही गये होंगे की हम बात कर रहे है “लोकमान्य” तिलकजी की जीनकी आज जन्म जयंती है। उनके द्वारा चलाया जाने वाला मराठी दैनिक “केसरी”ने कई दिलो में आझादी की चिंगारी जलायी थी। महाराष्ट्र के रत्नागीरी जिल्ले में जन्म लेने वाले केशव गंगाधर तिलक “बाल” गंगाधर तिलक एवम्‍ “लोकमान्य” तिलक से प्रसिध्ध हुए।

बाल गंगाधर तिलक ने एनी बेसेंट जी की मदद से होम रुल लीग की स्थापना की |होम रूल आन्दोलन के दौरान  बाल गंगाधर तिलक को काफी प्रसिद्धी मिली, जिस कारण उन्हेंलोकमान्यकी उपाधि मिली थी। अप्रैल 1916 में उन्होंने होम रूल लीग की स्थापना की थी। इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य भारत में स्वराज स्थापित करना था।

लोकमान्य तिलक ने जनजागृति का कार्यक्रम पूरा करने के लिए महाराष्ट्र में गणेश उत्सव तथा शिवाजी उत्सव सप्ताह भर मनाना प्रारंभ किया।  इन त्योहारों के माध्यम से जनता में देशप्रेम और अंगरेजों के अन्यायों के विरुद्ध संघर्ष का साहस भरा गया।

तिलक के क्रांतिकारी कदमों से अंगरेज बौखला गए और उन पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाकर छ: साल के लिए 'देश निकाला' का दंड दिया और बर्मा की मांडले जेल भेज दिया गया।

इस अवधि में तिलक ने गीता का अध्ययन किया और गीता रहस्य नामक भाष्य भी लिखा। तिलक के जेल से छूटने के बाद जब उनका गीता रहस्य प्रकाशित हुआ तो उसका प्रचार-प्रसार आंधी-तूफान की तरह बढ़ा और जनमानस उससे अत्यधिक आंदोलित हुआ।

उनकी लिखी हुई सभी पुस्तकों का विवरण इस प्रकार है।
·        ' ओरिओन' (The Orion)
·        द आर्कटिक होम ऑफ द वेदाज (The Arctic Home in the Vedas, (1903))
·        श्रीमद्भगवद्गीता रहस्य (माण्डले जेल में)
·        The Hindu philosophy of life, ethics and religion (१८८७ में प्रकाशित).
·        Vedic Chronology & Vedang Jyotish (वेदों का काल और वेदांग ज्योतिष)
·        टिळक पंचांग पद्धती (इसका कुछ स्थानों पर उपयोग होता है, विशेषतः कोकण, पश्चिम महाराष्ट्र आदि)
·        श्यामजी कृष्ण वर्मा एवं अन्य को लिखे लोकमान्य तिलक के पत्र (एम. डी. विद्वांस यांनी संपादित)
·        Selected documents of Lokamanya Bal Gangadhar Tilak, 1880-1920, (रवीन्द्र कुमार द्वारा संपादित)
तिलक जी की वजह से कई स्वातंत्र्य सेनानी भारत वर्ष को मिले जिसमें से एक थे वीर सावरकर। लोकमान्य तिलकजीने भारत वर्ष को अपना जिवन समर्पित किया था। भारत माता के इस वीर सपूत को उनके जन्मदिन पर शत शत नमन।

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