Sunday, 19 July 2020

शिक्षक - समाज का सूत्रधार। - श्री सांइराम दवेजी एवम्‌ श्री डी.वी. महेताजी



शिक्षक कभी साधारण नहीं होता, प्रलय और निर्माण उस की गोद में पलते है। इसी विचारधारा पे आज संवाद हुआ जिनियस ग़्रुप के फाउंडर और चैरमेन श्री डी.वी महेताजी और गुजरात के जानेमाने वक्ता, हास्यकार और सांदीपनी विचारधारा के शिक्षक श्री सांईराम दवेजी के बिच।
युं तो ये संवाद गुजराती में है और इस लेख के अंत में आप को लिंक भी मिल जाएगी, पर जो गुजराती नहीं समज पा रहे है उनके लिए प्रस्तुत है संवाद के अंश।
ये अंश दो विभाग में प्रस्तुत कर रहा हूं।
   शिक्षकों के लिए
·        शिक्षक मन से भी होना आवश्यक है। जो व्यवसाय के लिए आए हैं उन्हे मन से शिक्षक होना पडेगा।
·        शिक्षक २४ घंटे और आजिवन शिक्षक ही रहता है।
·        बच्चों को अंकुश में रखना नहीं पर उसे सही दिशा में ले जाना है शिक्षक का कार्य। डस्टर या छडी की आवाज से अगर बच्चे डरते है तो समजीए के  शिक्षक की इमेज बौनी हो गइ।
·        शिक्षक को अपने विषय के प्रति जाग़्रुक रहना चाहिए और निरंतर अपना नोलेज बढाते रहना चाहिए।
·        याद रहे, समाज का सिस्टम अभी आप के हाथ निचे फल फूल रहा है।
·        बच्चों की सुषुप्त शक्तियों को जाने, उनको जिस सबजेक्ट के प्रति ज्यादा आकर्षण हो उन्हें समजे और उसे उस दिशा में प्रेरित करे।
·        इमेजिनेशन और इनोवेशन के लिए माहौल पैदा किजिए।
·        रट्टा ग्यान के बदले विषय को समजने के तरिके के बारे में बच्चों को समजाये।
·        हर  १०-२० साल में बिझनेस और नौकरी के फिल्ड बदल रहे हैं या नये आ रहे हैं, बच्चों को इस प्रकार से तैयार करे की आने वाले समय के लिए वो सक्षम हो।

बच्चों के अभिभावको के लिए
·        आप के बच्चे संभालने के लिए शिक्षक कार्यशिल नहीं है पर वो आप के बच्चों के साथ अन्य बच्चों का भी भवीष्य संवार रहे है। अतः शिक्षको का सम्मान किजिए।
·        व्यायाम (गेम्स), संगीत, चित्र या भाषाओं के क्लास तो सिर्फ समय बर्बाद करने के लिए है ये विचारधारा अभिभावको को बदलनी पडेगी।
·        बच्चों के इंटरेस्ट के सबजेक्ट जाने और फिर उसे उस फिल्ड में आगे पढने के लिए भेजे।
·        सायंस स्ट्रीम (इंजिनियर, डोक्टर, एमबीए), कोमर्स स्ट्रीम (सीए, सीएस, मार्केटींग) को ही अग्रीमता दे और लास्ट में ही आर्ट्स को चूने ये फैसला या तो ये विचारधारा बदलनी होगी।
·        मातृभाषा के प्रति जागृक होना पडेगा। अंग्रेजी महत्वपूर्ण है मगर इसका मतलब यह कतह ही नहीं की हम अपनी जडों को काट डाले।
·        फिर से एक बार शिक्षक को उतना ही सम्मान दीजीए जितना आप डोक्टर, आइएएस ओफीसर, सीए इत्यादी प्रोफेशनल को देते हैं क्युंकी उन प्रोफेशनल की करीयर की निंव ये शिक्षक ने हीं रखी थी।
अगर आप गुजराती थोडी बहुत भी समज पाते हैं तो नीचे दी गई लिंक पर जाइए और ये संवाद जरूर से सुनिए।
इसी विचारधारा को लेकर मैं एक जानी मानी बेस्ट सेलर किताब के उपर अपना लेख लेकर फिर से आप के साथ ब्लोग के माध्यम से वापस आऊंगा।

~ गोपाल खेताणी

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