९०के दशक में
बच्चों से पूछें की क्या बनना है तो बोलेंगे डोक्टर्स, इन्जिनियर, साइंटीस्ट, पायलट,
टिचर या IAS अफसर! पर सन २००० के बाद जो क्रांति आइ, जो नई जनरेशन आइ है उन्हें पता
है की उन्हे कम्प्युटर इन्जिनियर बनना है और ऑरेकल – SQL में पारंग़त होंगे। डॉक्टर
बनेंगे और फिर न्युरोलोजीस्ट बनेंगे। M.SC Phyisics के बाद Quantam Physics में
PhD करेंगे। ये हैं यंग इंडीया के युवा!
आज शिक्षा का
स्तर बदल गया है। ब्लेक बोर्ड का कलर ही अब चेन्ज हो गया है, ये ही सबसे बडी बात है..
है ना?
व्हाइट बोर्ड
के साथ साथ प्रोजेक्टर भी स्कूल का आवश्यक अंग़ (और अभिभावको की पसंद) बन गया है। बच्चे
स्मार्ट बन गये है तो उनके लिए चिजें भी स्मार्ट आने लगी है। प्रोजेक्टर पे उन्हें
स्मार्ट एज्युकेशन दिया जा रहा है।
नर्सरी के बच्चों
को यु-ट्युब पता है। बच्चे अब अपना प्रोजेक्ट गुगल देवता की क्रीपा से करने लगे हैं।
अच्छी बात है, टेक्नोलोजी के साथ साथ सब को अपग्रेड होना चाहीये पर क्या फाउंडेशन सही
है?
बच्चे क्या
पढ रहे है, क्या समज रहे है ये भी तो देखना चाहिये। उत्तोलन (leverage) क्या है वो पता नहीं है और
Quantam Physics की पढाइ कीए जा रहे है।
इधर पिंकी बिटीया
मिकेनिकल इंजीनियर बन गइ। छत पर कपडे सुखाने की रस्सी लेने के लिए दुकान पर गइ तब ताउसे
“कितने मिटर रस्सी दूं?” का सवाल सुना तो पिंकी
बिटीया के सामने पूरे चार साल के वाइवा नजर के सामने आ गए!!!!!
उधर रोहन भैया
ताजे ताजे इंजिनियर बनकर निकले है। जोब न मिलने पर सरकार की जमकर बुराइ कर रहे है।
तभी एक कंपनी ने इंटर्व्यु के लिए बुलाया। रोहन भैया फेसियल करा के, सूट बूट पहन कर
इंटर्व्यु देने पहुंच गए। उन्हें वर्नियर कैलिपर
से एक टूकडे की लंबाइ नापने को बोला गया। रोहन जी तो वनिर्यर कैलिपर को एलियन का शस्त्र
समज बैठे। पब जी या काउन्टर स्ट्राइक में भी ये वेपन नहीं देखा!!!! इन्टर्व्यु लेने
वालो को लगा की ये फिर से सरकार को गाली देने लगेंगे इस से अच्छा एक मौका और दे देते
है। पूछा गया की “एक फिट में कितने इंच एवम कितने सेंटीमिटर होते है?” लो भैया, फेसियल
भाप बन के उड गया, टाइ घुटन पैदा करने लगी, डी हाइड्रेशन की अवस्था आने वाले थी की
सामने पडा पानी का ग्लास रोहन जी ने खाली कर डाला!!!
उपर वाले वाक्ये
मजाक नहीं है। कहीं ना कहीं हकीकत भी है। चलो एक हकीकत से रुबरु होते है।
EZ
ENGINEERS PVT. LTD. के स्थापक एवम संचालक श्री जेठवानीजीने इंजिनियरींग के छात्रों
से किये गए इंटर्व्यु के संदर्भ में एक बात बताइ। उन्होंने बताया की स्ट्रक्चर इंजिनियर
की पोस्ट के लिए जब इंटर्व्यु लिया तब एक गोल्ड मेडालिस्ट युवा भी उस इंटर्व्यु में
शामिल था। उस युवा ने डिफ्लेक्शन फोर्म्युला, बेंडींग मोमेन्ट डायाग्राम, आरसीसी डीझाइन
स्टेप्स आदी सभी सवाल जो सिलेबस में शामिल थे उसके एकदम सटीक उत्तर दिये। पर समस्या
अब शरु होती है..जैसे ही जेठवानीजी ने युवा को एक ट्रेडीशनल स्टिल कनेक्शन का फोटो
दिखाकर पूछा की ये कौन सा कनेक्शन टाइप है..सिंप्ली स्पोर्टेड या फिक्स्ड? वो युवा
निरुत्तर रहा। जेठवानी जी कइ शहर घुमे मगर ये ही हाल रहा।
जेठवानी जी
का कहना है की कोलेज बहुत अच्छा पढाते है मगर उनके पास सिर्फ चार साल होते है। उन चार
सालों में उन्हें थियरी और प्रेक्टीकल्स करवाने होते हैं। कोलेज एक अच्छा बेझ बनाकर
देता है मगर युवाओं को उस बेझ से थोडा उठकर छ्लांग लगानी होगी। पर युवा छलांग लगाना
तो दूर कभी कभी मूलभूत चिजों पर भी जोर नहीं
देते। हालांकी सभी युवा ऐसे नहीं है। कई कोलेज के प्रोफेसर्स ऐसे हैं जो युवाओं को
आगे कैसे बढा जाए, कोलेज के गेट के उस तरफ भी क्या कीया जाये उसकी गाइडन्स देते है।
जो युवा उस रास्ते पे चलते हैं वो कामयाबी को पा भी लेते हैं।
LEVEL 1 चेप्टर
यहीं खतम कर रहा हूं। LEVEL 2 में कुछ और रोचक बाते करेंगे पर उससे पहेले कहना चाहुंग़ा
की EZ ENGINEERS PVT. LTD., Vadodara, Gujarat based कंपनी है जो स्ट्रकचर डिझाइन की प्रोफेशनल सर्वीस
(Design & Engineering) और ट्रेनिंग में बेजोड है। कंपनी आप को स्ट्रकचर डिझाइन
के कन्सेप्ट की उत्क्रुष्ट ट्रेनिंग़ देती है जिस में प्रेक्टीकल थियरी के साथ साथ सोफ़्टवेर
का प्रेक्टीकल Know How & Knowledge देते है; और साइट विझिट भी कराइ जाती है। इस
कंपनी में पूरे देश से B.E. / M.E CIVIL के स्टुडन्टस तो आते ही है साथ साथ प्रोफेसर्स
और मैनेजर्स भी आते है जो Structural Engg. के प्रोफेश्नल कोर्सीस करके अपने कैरीयर
को एक नया आयाम देते है।
LEVEL 2 जल्द
ही पोस्ट करने जा रहा हूं…LEVEL 1 अपने दोस्तो, स्नेहीजनों तक पहोंचाइये।
“Excellence
is a continuous process and not an accident.” – Dr. A.P.J. ABDUL KALAM
~ गोपाल खेताणी
thank you so much for your valuable comment.
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