Monday 13 April 2020

मन में है विश्वास – शैलेष सगपरिया




मन में है विश्वास – शैलेष सगपरिया

नमस्कार मित्रों। आशा है आप सकुशल होंगे और लोकडाउन के नियमों का पालन कर रहें होंगे। लोकडाउन के इस समय में कई लोग, कइ संस्थाए बहुत अच्छे काम कर रही है। ऐसी ही दो एज्युकेशनल इंस्टीट्युट ने कल १२ अप्रेल को फेसबूक पे लाइव वक्तव्य का आयोजन कीया।

Genius English Medium School और Jay International School  राजकोट, गुजरात द्वारा आयोजीत इस वक्तव्य को बहुत ही अच्छा प्रतिसाद मिला। वक्ता थे, राजकोट और गुजरात के प्रसीद्ध वार्ताकार, वक्ता एवम सरकारी अफसर श्री शैलेष सगपरिया। चूंकी ये पूरा वक्तव्य गुजराती में था आप को इस वक्तव्य के चुनींदा अंश इस लेख में बताउंगा। 

उन्होंने ना सीर्फ कोरोना संकट में लोकडाउन के समय क्या करना चाहिये ये बताया पर उसके बाद भी क्या करना चाहिये ये भी बताया, जो हमारे सुखमय जिवन के लिए लाभदायी रहेगा।
लोकडाउन के इस समय में और कोरोना की महामारी से वो ही लोग शांतिपूर्वक जी रहे है जीनके पास पांच स्वास्थ्य है।

              १)        शारीरिक स्वास्थ्य

२)        मानसीक स्वास्थ्य
३)        आर्थीक स्वास्थ्य
४)        सामाजिक स्वास्थ्य
५)       आध्यात्मिक स्वास्थ्य


१)     शारीरिक स्वास्थ्यः
जिनका शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा है उनकी रोगप्रतिकारक शक्ति भी अच्छी है। हमने देखा है की कइ व्रुध्ध व्यक्ति कोरोना का शिकार होने के बावजूद ठीक होकर घर को वापस लौट आए है, क्युंकी उनका शारीरिक स्वास्थ्य अच्छा था| जो पहेले से ही Blood Pressure, diabetes, किडनी संक्रमण या अन्य बिमारी से ग्रस्त थे वो उबर नहीं पाये।
जिसको तंबाकु, दारु , सिगारेट, बीडी आदी का व्यसन हो इनके लिए लोकडाउन वरदान है की इस  समय वो अपना आत्मबल बढाए और व्यसनमुक्त हो जाए।
आप अपनी फिटनेस पर ध्यान दे और शरीर को चुस्त बनाए। व्यायाम, योग, डांस आदी तरीको से अपने आप को फिट रखे।
जितने दिन ये लोकडाउन चलेगा यकिन मानीए उतने दिन का आयुष्य आप का बढ गया है। क्युंकी इन दिनों आपने जंक फूड खाया नहीं। अपने घर का शुध्ध सात्विक भोजन और अपने मटके का पानी ग्रहण कीया।
अगर यही रीत आप जिवन भर अपनाएं तो आपकी रोग प्रतिकारक शक्ति बढेगी; इसमें कोइ दो राय नहीं।

२)   मानसीक स्वास्थ्यः
डोक्टर बर्नी सिगल जो एक केंसर विशेषज्ञ थे उन्होंने एक बेस्ट सेलींग किताब लिखी - लव, मेडीसीन एंड मिरेकल। उस किताब का एक किस्सा आपको बताउंगा। मि. राइट नाम के जनाब को तिसरे स्टेज का केंसर हुआ। उस समय केंसर की कोई भी दवाइ मौजुद नहीं थी। मि. राइट का उपचार डो. सिगल के अस्पताल में चल रहा था।  मि. राइटने सुना की एक कंपनीने केंसर की दवाइ बनाइ है पर अभी तक उसका टेस्ट या रिझल्ट पता नहीं चला। मि. राइटने डो. सिगल से जिद कर के वो दवाइ मंगवाइ और दवाइ खाना स्टार्ट किया। दो महिनो में मि. राइट केंसर से मुक्त हो गये और स्वस्थ जिवन जिने लगे। एक साल बाद उस दवाइ के बारे में चारो और न्युझ फैली के दवाइ केंसर को ठिक करने में निषफ़ल है, वो कुछ भी नहीं कर सकती। मि. राइट को ये न्यूझ मिली और एक महिने में फिर से वो केंसर ग्रस्त हुए । इस बार डोक्टर उन्हें बचा नहीं पाए।

ये किस्सा हमारे मानसीक स्वास्थ्य से जुडा है। अगर हम हकारात्मक अभीगम नहीं रखते तो उसका असर हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर होता है। जिसका मन स्वस्थ उसका तन स्वस्थ। पूरा दिन हम कोरोना के न्यूझ सुनते रहेंगे तो दिमाग खराब ही होगा। कीसी और जगह पे ध्यान केंद्रीत नहीं होगा। खाने पिने का मन नहीं होगा। स्वभाव चिडचिडा हो जाएगा। 
इस लिए इस समय हम अपना ध्यान अच्छी किताबे पढने, अच्छे कार्यक्रम (रामायण, महाभारत आदी) देखने में, कुछ नया सिखने में, बच्चों एवम परिवार के साथे कुछ इनडोर गेम्स खेलने में व्यतित करे तो हमारे मन को आनंद मिलेगा और हमारा मानसीक स्वास्थ्य बेहतर होगा।

गुजरातीमें मुहूर्त को चोघडीया कहते है। सात मूहुर्त  (चोघडीया) होते है।
लाभ, शुभ, अम्रुत – अच्छे मूहुर्त
चल – तट्स्थ मूहुर्त
उद्वेग, रोग, काल – खराव मुहूर्त

चल याने हम। हम सकारात्मक सोचेंग़े, सकारात्म्क कार्य करेंगे तो हमें लाभ होगा। हमे शुभ अवसर प्रदान होंगे। हमारा जिवन अम्रुतमय बनेगा।

हम नकारात्मक सोचेंगे, नकारात्मक कार्य करेंग़े तो मन में उद्वेग बढेगा। मन में उद्वेग बढेगा तो शरीर रोग ग्रस्त होगा और काल हमारे जिवन को नष्ट करेगा।

अपने मानसीक स्वास्थ्य पर ध्यान दे।

३)   आर्थीक स्वास्थ्यः
इस लोकडाइन के समय में सबसे कम खर्चा हम सबने किया होगा। हमने सिर्फ उन्हीं चिजों पे पैसे खर्च किए जो एक सादा जिवन जिने के लिए आवश्यक है।
पर कइ लोगों को इस समय पैसों की चिंता हो रही होगी जो स्वाभाविक है। अगर आप के एकाउंट में, घर में नकदी नहीं है तो जाहिर सी बात है मुश्किल होगी ही।

पर ये स्थिति क्युं पैदा हुइ? हमारे बडे बुझुर्ग हंमेशा से बचत को महत्व देते थे। अगर हम तिन – चार महिने भी नहीं निकाल पा रहे है तो ये हमारे भविष्य के आयोजन पर सवालिया निशान है।
बचत का महत्व समजिए और अपने बच्चों को अभी से समजाएं।

(लोकडाउन टिप्सः गुजरात में आज भी कइ जगह पूरे साल के गेहुं, चावल, तेल, मसाले रखने की प्रथा है।)

४)   सामाजिक स्वास्थ्यः
सामाजिक स्वास्थ्य याने जिन के रिश्ते अपने घरमें, अपने आस पडोस में, मित्रों के साथ, सगे संबंधीओ के साथ, नोकरी या बिझनेस सर्कल में; मधुर है वो इस लोकडाउन पिरियड को एंजोय कर रहे है। फेसबूक चेलेंज दे रहे है,  पूरी कर रहे है। ओनलाइन मिटींग कर रहे है, गेम्स खेलते है, गाने गाते हैं, लिखते है, सुनते है और खुश रहते है।
जिन्होंने अभी तक सिर्फ अपना समय खुद को ही दिया या फिर नोकरी, बिझनेस को ही दिया उनके लिए ये समय संकट भरा रहा होगा।
आप हमेशा अच्छे सकारात्मक लोगों के साथ रहीए, रिश्ते डेवेलोप करीए। कभी कभी संकट समय में हमारे आसपास के लोग ही हमें काम आएंगे।
एक अच्छा जोक है – हमारे पास ऐसे दोस्त होने चाहिए जिन को हम अपनी मुसीबते बता सके; जो मुसीबत को दूर तो नहीं कर पाएंगे पर ऐसे ऐसे सुझाव बताएंगे की आप को मुसीबत सुझाव से ज्यादा आसान लगेगी।

५)   आध्यात्मिक स्वास्थ्यः
जो लोग स्थितप्रग्य है, जिन्होंने ये स्विकार किया है की अभी चल रहा संकट अस्तित्व का आयोजन है वो अभी लोकडाउन में बेहतर तरीके से निर्वाह कर रहे है। स्रुष्टी के आयोजन का स्विकार करे। हां, ऐसा नहीं के बैठे बैठे सिर्फ देखते रहें, कर्म तो करना पडेगा मगर बावरे ना होकर प्रक्रिती के नियम को समजे। स्रुष्टी अभी नव पल्ल्वीत हो रही है। आप कइ विडीयो देख रहे होंगे की प्रक्रिती कैसे चहक रही है जब मानव घर में बंध है तो!
डो. कलामने अपने किताब में लिखा था की जब ७०० वर्ष पूर्व महामारी हुइ थी और लाखो लोग मारे गए थे उसके बाद स्रुष्टी नव पल्ल्वीत हुइ, और निखर के सामने आइ थी।
***
वाइरस एक परोपजीवी है। जो मानव शरीर में आश्रीत होता है फिर उसी मानव को मार देता है। मानव भी स्रुष्टी के लिए वाइरस है। वो स्रुष्टी का आश्रीत है और उसी को खत्म कर देता है। हम इस प्रक्रिती के साथ छेडछाड ना करे।

अब अंत में इजिप्त की लोककथा सुनते है।
कहा जाता है की मरने के बाद इंसान को परम पिता तिन सवाल पूछते है। अगर तिनो का उत्तर “हां” में मिला तो ही उसे स्वर्ग मिलता है अन्यथा उसे वापस प्रुथ्वी पर जन्म लेना पडता है। वो तिन सवाल है

१ – क्या तुमने जिवन का आनंद लिया?
२ – क्या तुमने अकेले हि जिवन का आनंद लिया या दूसरो को साथ भी अपना सुख साझा कीया?
३ – तुम सबने आनंद लिया इस में प्रक्रिती भी आनंदित थी ना? (मतलब और कोई दुखी नहीं हुए थे ना?)

आशा है आप को श्री शैलेष सगपरियाजी के वकत्वय के आधार पर लिखा हुआ मेरा लेख पसंद आया होगा। मैं श्री श्रीकांत तन्नाजी का आभारी हुं जिनकी वजह से में ये वकत्व्य लाइव देख पाया।

ये विडीयो अभी भी फेसबुक पे आप देख सकते है। जिन्हें गुजराती समज में आती है वे जरूर देखे। ये रही लिंक।


आप का आभारी
गोपाल खेताणी

3 comments:

  1. बहुत ही बढ़िया आलेख। ऐसा लगता ही नहीं कि यह कोई अनूदित विषय है। ज्ञान एवं अध्यात्म के समन्वय के पक्ष में आपने को कहा है, सर्वथा उचित है। धन्यवाद। लिखते रहिए, अनुवाद भी करते रहिए।

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  2. तीसरी पंक्ति में को के स्थान पर जो पढ़ने का कष्ट करें।

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  3. Thank you so much Harshad sir for your valuable comments.

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